जोशीमठ में दहशत की ‘दरार’ पर बुलडोजर का एक्शन

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उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात बिगड़ते चले जा रहे हैं। भू-धंसाव के चलते तमाम घरों और होटलों में पड़ी दरारें बढ़ती जा रही हैं। प्रशासन ने असुरक्षित जोन घोषित किए हैं। ऐसे में जो घर और इमारतें सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं उन्हें जमींदोज करने का काम शुरू हो गया है। सबसे पहले टीम ने होटल मलारी इन और माउंट व्यू को ढहाया। इस दौरान 60 मजदूरों के साथ ही दो जेसीबी एक बड़ी क्रेन और दो टिप्पर ट्रक मौजूद थे। वहीं रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट जोशीमठ में क्षेत्र के हालात को लेकर आर्मी बेस में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं।

बता दें कि ये दोनों होटलें दरारों के चलते पीछे की तरफ झुक गए हैं. पिछले दिनों तकनीकी समिति ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट दी थी। इसमें सरकार को तत्काल जर्जर निर्माणों को ढहाने की अनुशंसा की गई थी। इन जर्जर संरचनाओं के कारण जान-माल के खतरे की आशंका जताई जा रही थी। जोशीमठ में दरारें लगातार लोगों को डरा रही हैं। प्रशासन की ओर से अब तक 678 घरों को चिन्हित किया गया है। वहीं जिला प्रशासन की हिदायत पर रिहायशी इलाकों के लोग घर खाली करके जा चुके हैं। बहुत सारे लोग अभी भी सामान समेट रहे हैं ये लोग जोशीमठ छोड़कर जाने की तैयारी में हैं। जोशीमठ में भू धंसाव के चलते अब तक 678 घरों में दरारें पड़ चुकी हैं। इतना ही नहीं कई जगहों पर सड़क तक फट गई है। जमीन के नीचे से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है।

होटल मलारी इन के मालिक ठाकुर सिंह राणा का कहना है कि उन्हें प्रशासन की ओर से कोई नोटिस नहीं मिला। उन्होंने कहा कि मैं जनहित में अपने होटल को गिराए जाने के सरकार के फैसले के साथ हूं। लेकिन मुझे इससे पहले नोटिस मिलना चाहिए था और होटल का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। होटल मलारी इन के मालिक ठाकुर सिंह राणा ने बताया कि इसे 2011 में बनाया गया था। इस दौरान नक्शा भी पास कराया गया था। होटल मालिक का दावा है कि 2011-2022 तक आजतक किसी ने नहीं बताया कि यह भूमि आपदा क्षेत्र में है। मालिक के मुताबिक जोशीमठ नगर पालिका की इजाजत लेकर होटल बनाया गया था। लेकिन अब बिना नोटिस के होटल को ढहाया गया है। आपदा प्रबंधन सचिव डॉ रंजीत सिन्हा के मुताबिक उन सभी भवनों को सिलसिलेवार गिराया जा रहा है। जिनमें ज्यादा दरारें आ चुकी हैं उनको पहले ढहाया जा रहा है। सबसे पहले असुरक्षित भवन गिराए जाएंगे. भवनों को गिराने के लिए विस्फोटकों की मदद नहीं ली जा रही है। सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की देखरेख में लोनिवि की टीम मेकेनिकल तकनीक से भवनों को गिरा रही है इसके लिए मजदूरों की मदद ली जा रही है।


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