उत्तराखंड में 1700 फैक्ट्रियों पर लटकी बंदी की तलवार! हाईकोर्ट के निर्देश के बाद पीसीबी ने जारी किए आदेश,एनओसी रद

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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उत्तराखंड में प्लास्टिक निमाण या अपने उत्पादों की पैकेजिंग में प्लास्टिक का उपयोग करने वाली 1724 फैक्ट्रियों की एनओसी रद कर दी है। बोर्ड ने सभी फैक्ट्रियों को नोटिस जारी कर प्लास्टिक पैकेजिंग के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) प्लान जमा करने का आदेश दिया है। अधिकारियों ने कहा है कि यदि फैक्ट्रियों की ओर से ईपीआर प्लान जमा नहीं किया जाता तो क्लोजर नोटिस जारी किया जाएगा। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पीसीबी ने यह कार्रवाई की है। केंद्र सरकार की ओर से लागू किया गया प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम 2016, इसी साल जुलाई से शुरू हो चुका है।

इस अधिनियम के तहत फैक्ट्री मालिकों को उनके यहां बनने वाले और उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक का निस्त खुद करना है और इसका प्लान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दे उत्तराखंड में प्लास्टिक निर्माण या पैकेजिंग से 1729 फैक्ट्रि जुड़ी हुई हैं। इनमें से पांच फैक्ट्रियों ने ही अपना ईपीआर प्ल पीसीबी में जमा कराया है। वही हाईकोर्ट ने सभी फैक्ट्रियों के लिए प्लान तत्काल प्रभाव से लागू करने का आदेश दिया है। इसके बाद पीसीबी ने ईपीआर प्लान नहीं देने वाली 1724 फैक्ट्रियों को नोटिस जारी किया है। नोटिस में कहा गया है कि तत्काल वह ईपीआर प्लान जमा करायें। अन्यथा इसे हाईकोर्ट के आदेश और ईपीआर नियम का उल्लंघन माना जाएगा।

उधर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड का कहना है कि पहले सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के निस्तारण की जिम्मेदारी निकायों की थी। अब ईपीआर के तहत कंपनियों को खुद व्यवस्था करनी है। हाईकोर्ट के आदेश पर एनजीटी ने ए आदेश जारी किया है। इसमें कई कंपनियों के पूर्व में दिए एक्शन प्लान भी रद कर गए हैं। इस पर अमल हुआ प्रदेश में कई उद्योग बंद हो जाएंगे। इससे बेरोजगारी बढ़ेगी। इसके समाधान के लिए उद्योग संचालकों को एक महीने का समय दिया जाए। इसके बाद जो प्लान जमा न करें उन्हें बंद किया जाए। उधर, फूड इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने इस मामले में उद्योगों का पक्ष रखने के लिए कमेटी बनाई है। आपको बता दे कि साल 2016 में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन अधिनियम बनाया गया। इसके तहत प्लास्टिक उत्पाद निर्माण में बचा बेस्ट, पैकेजिंग प्लास्टिक के निस्तारण की प्राथमिक जिम्मेदारी निर्माण या आयात करने वालों की है। इसके लिए ईपीआर नियम बन गया। कंपनी मालिकों का कहना है कि ईपीआर नियमों से फैक्ट्रियां बंदी की कगार पर पहुंच जाएंगीं।


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