जौलीग्रांट एयरपोर्ट को इंटरनेशनल बनाना उत्तराखंड सरकार के लिए बन रहा टेढ़ी खीर

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उत्तराखंड की प्रदेश मुख्यालय देहरादून में स्थित जौलीग्रांट हवाई अड्डे को इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की कवायद चल रही है लेकिन इसके लिए पेड़ों का कटान और एयरपोर्ट के आसपास रिहायशी इलाकों में विस्तारीकरण का विरोध सबसे बड़ा रोड़ा बन रहा है। यही कारण है कि उत्तराखंड से अभी केवल अंतरराष्ट्रीय उड़ानें ही भरी जा सकती हैं। इसी कारण उत्तराखंड में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या सीमित हो रही है।

जानकारी और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोविड के बाद उत्तराखंड में विदेशी पर्यटकों की आमद में काफी गिरावट देखने को मिली है। यही वजह है कि राज्य सरकार पिछले लंबे समय से प्रयास कर रही है कि उत्तराखंड में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड से इंटरनेशनल फ्लाइट शुरू की जाए लेकिन इसके लिए प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय मानकों वाला एयरपोर्ट होना जरूरी है। जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण में अड़चनएयरपोर्ट की रनवे लेंथ कमः अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए एयरपोर्ट की रनवे लेंथ कम से कम से कम 3500 मीटर (3 किमी) होनी ही चाहिए। जबकि उत्तराखंड में मौजूद सबसे बड़े और सबसे बिजी जौलीग्रांट एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई मात्र 2000 मीटर है जो कि केवल डोमेस्टिक फ्लाइट्स (घरेलू उड़ान) के लिए पर्याप्त है। वही लंबे समय से राज्य सरकार देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की योजना बना रही है. इसके लिए पहले निर्णय लिया गया कि जौलीग्रांट एयरपोर्ट को ऋषिकेश की तरफ मौजूद जंगल की ओर बढ़ाया जाएगा। लेकिन इस दौरान पर्यावरण प्रेमियों का काफी विरोध देखने को मिला लंबी बहस के बाद जौलीग्रांट को ऋषिकेश की तरफ बढ़ाने के लिए मात्र 87 हेक्टेयर भूमि को ही हरी झंडी मिली। लेकिन कुल मिलाकर अतिरिक्त जमीन के बाद भी रनवे की लंबाई केवल 2600 मीटर हो पाई। अभी भी 900 मीटर रनवे विस्तारीकरण की जरूरत है. इसके लिए जौलीग्रांट एयरपोर्ट से देहरादून की तरफ का रिहायशी इलाका एक मात्र विकल्प है।


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