आम जनता के लिए जल्द खुलेगा नैथाणा ब्रिज! मापी गई भार क्षमता

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प्रदेश में श्रीनगर वासियों को नैथाणा पुल की सौगात जल्द मिल सकती है। आज रेलवे विकास निगम के अधिकारियों ने पुल की भार क्षमता मापी। जिसके तहत मिट्टी समेत अन्य सामग्रियों से भरे 18 ट्रकों को पुल पर खड़ा कर लोडिंग कैपेसिटी मापी गई। अब जल्द ही पुल को आम जनता के लिए खोला जा सकता है।

श्रीनगर और चौरास के लोगों के लिए अच्छी खबर है। जल्द रेलवे विकास निगम की ओर निर्मित पुल आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा। आज पुल की लोडिंग क्षमता को जांचा गया। इस दौरान पुल पर 18 ट्रकों को एक साथ खड़ा किया और पुल के भार क्षमता को परखा गया। जिसमें लोडिंग क्षमता के मुताबिक पुल खरा उतरा है। वहीं काफी संख्या में रेलवे विकास निगम के अधिकारी पुल की जांच करने के लिए मौजूद रहे.बता दें कि यह इस क्षेत्र का सबसे लंबा पुल है, जिसकी लंबाई 250 मीटर है। जबकि इसे बनाने में 80 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च की गई है। इसी पुल के बगल में ही रेलवे ब्रिज का भी निर्माण किया जा रहा है. जिसमें रेल लाइन गुजरेगी जो सुरंग से होते हुए स्वीत गांव में बाहर निकलेगी।

रेलवे विकास निगम के प्रबंधक विनोद बिष्ट ने बताया कि मोटर ब्रिज का काम 98 प्रतिशत पूरा हो चुका है। इन दिनों पुल पर डेटिंग पेंटिंग के साथ फाइनल टेस्टिंग की जा रही है। कोशिश की जाएगी कि मार्च तक पुल को उत्तराखंड सरकार के हवाले कर दिया जाएगा। उसके बाद ही पुल पर यातायात संभव होगा। महत्वाकांक्षी ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। जिसके तहत भूमि अधिग्रहण का कार्य भी करीबन पूरा हो चुका है। 125.20 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलमार्ग परियोजना का 84.24 फीसदी भाग यानि 105.47 किलोमीटर भाग भूमिगत है। इसलिए इस परियोजना में बनने वाले रेलवे स्टेशनों का आंशिक हिस्सा पुल के ऊपर या सुरंगों के भीतर रहेगा। इस परियोजना में 12 रेलवे स्टेशन तैयार किए जाएंगे। जिसमें से महज दो ही स्टेशन बनाने के लिए पर्याप्त भूमि है। जबकि बाकी 10 स्टेशनों का शेष भाग सुरंग के अंदर और पुल के भीतर रहेगा।
इन 12 स्टेशनों में शिवपुरी और ब्यासी में 800 व 600 मीटर लंबे रेलवे स्टेशन का कुछ ही भाग खुला रहेगा। जबकि बाकी सुरंग के अंदर और पुल के ऊपर रहेगा। इसके आलावा देवप्रयाग (सौड़) में 390 मीटर, जनासू में 1000 मीटर, मलेथा में 1100 मीटर, तिलणी में 600 मीटर, घोलतीर में 600 मीटर, गौचर में 1000 मीटर और सिंवाई (कर्णप्रयाग) में 1200 मीटर लंबे रेलवे स्टेशन का कुछ भाग आंशिक रुप से भूमिगत होंगे। वहीं धारी देवी (डुंगरीपंथ) स्टेशन का कुछ हिस्सा पुल के ऊपर होगा। जबकि, श्रीनगर (रानीहाट-नैथाणा) में 1800 मीटर स्टेशन पूरी तरह से खुले स्थान में रहेगा। यह रेलवे स्टेशन पहाड़ में बनने वाले अन्य रेलवे स्टेशन के मुकाबले सबसे बड़ा होगा। डबल लाइन वाले रेलवे स्टेशन के लिए 1200 से 1400 मीटर लंबा स्थान की जरुरत होती है। श्रीनगर (रानीहाट-नैथाणा) ही एकमात्र रेलवे स्टेशन है। जहां पर पूरी जगह मिल रही है. लिहाजा, जगह की कमी को देखते हुए इस रेलवे स्टेशन का कुछ हिस्सा सुरंग के अंदर होगा, लेकिन यात्रियों की आवाजाही के लिए प्लेटफार्म खुले स्थानों में बनाए गए हैं। ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल मार्ग परियोजना में पहाड़ में श्रीनगर (रानीहाट-नैथाणा) सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन होगा। यहां 3 पैसेंजर और 2 गुड्स प्लेटफार्म होंगे। इसके बाद कर्णप्रयाग में ही रेल मार्ग सबसे ज्यादा खुले स्थान में होगा। इस परियोजना के पूरा होने का लक्ष्य 2024-25 रखा गया है।


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