1947 विभाजन की विभीषिका की यादें ताजा करेंगे बीजेपी और आरएसएस! बंटवारे का मंजर जीने वाले सुनाएंगे आपबीती,विधायक शिव अरोड़ा को बनाया गया कार्यक्रम का संयोजक

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बीजेपी और आरएसएस मिलकर विभाजन की विभीषिका कार्यक्रम आयोजित करने जा रहे हैं। रुद्रपुर विधायक शिव अरोड़ा को विभाजन की विभीषिका कार्यक्रम का संयोजक बनाया गया है। कार्यक्रम का उद्देश्य विभाजन के समय पाकिस्तान से भारत आए प्रवासियों के संघर्ष की कहानियां उजागर करना बताया गया है। 1947 में देश की आजादी से पहले हुए विभाजन की याद बीजेपी और आरएसएस मिलकर ताजा करेंगे। भाजपा और RSS मिलकर उन तमाम पहलुओं की यादों को ताजा करने के लिए विभाजन विभीषिका का आयोजन कर रहे हैं जो विभाजन के दौरान देश को बांटने के लिए किए गए थे। देश की आजादी से पहले 1947 में भारत देश के हुए बंटवारे को लेकर एक बार फिर से जिन्न बाहर आ गया है। भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस पूरी तरह से उस मंजर की यादों को ताजा करना चाहते हैं जब देश सांप्रदायिक रूप से दो भागों में बंट गया था। इसके लिए आरएसएस और भाजपा पूरे देश भर में विभाजन विभीषिका नाम से एक नया कार्यक्रम कर रहे हैं। इस कार्यक्रम से जहां एक तरफ बीजेपी और आरएसएस का मकसद है कि उस दौर में मुश्किल हालातों से गुजरने वाले लोगों की पीड़ा को समझा जाए तो वहीं दूसरी तरफ कहीं ना कहीं यह कार्यक्रम उस समय की लीडरशिप और उसके डिसीजन पर भी सवाल खड़े करता है।

उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा मिलकर आयोजित किया जा रहे विभाजन विभीषिका कार्यक्रम के लिए रुद्रपुर विधायक शिव अरोड़ा को संयोजक बनाया गया है। इस कार्यक्रम में 1947 के बंटवारे में पंजाबी समाज के बलिदान को आजादी के अमृत महोत्सव पर मान्यता देते हुए विभाजन विभीषिका सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है। आगामी 27 अगस्त 2023 को इस कार्यक्रम का आयोजन देहरादून में किया जाएगा। इसमें विभाजन के समय पाकिस्तान से भारत आए प्रवासियों के संघर्ष की कहानियों को उजागर किया जाएगा। कार्यक्रम के संयोजक शिव अरोड़ा का कहना है कि इस कार्यक्रम का मकसद उन सभी लोगों के संघर्ष को सम्मान देना है जिन्होंने देश की आजादी से पहले ही एक बड़े पलायन के तहत अपनों को खोया है। उस दौरान सांप्रदायिक दंगों में लोगों ने कई बुरे हालातों का सामना किया है। इस कार्यक्रम में कहीं ना कहीं देश की आजादी से पहले हुए बंटवारे के समय मौजूद देश के तत्कालीन नेतृत्व पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कार्यक्रम संयोजक का साफ तौर से कहना है कि यह एक सोचने वाला विषय है। उस समय की क्या परिस्थितियां थी और यदि देश का इतने बड़े स्तर पर बंटवारा हुआ है तो उसको लेकर भी विचार करने की जरूरत है। साथ ही इस तरह के कार्यक्रम से सांप्रदायिक भावनाओं के भड़कने के सवाल पर कार्यक्रम के संयोजकों का कहना है कि देश को तोड़ने वाली जो भी भावना है वह किसी भी तरह से देश हित में नहीं हो सकती है। साथ ही इस कार्यक्रम के आयोजकों का कहना है कि इस कार्यक्रम से किसी भी तरह की सांप्रदायिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई जा रही है। लेकिन जो लोग भी देश के बंटवारे के पक्षधर हैं उन्हें निश्चित तौर से दुख पहुंच सकता है और वह लोग किसी भी तरह से देश के हितेषी नहीं माने जा सकते हैं।


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