हाथ-पांव जोड़कर सात दिनों के सफर के बाद Ukraine से घर लौटा छात्र,अगस्त्यमुनि निवासी अंकित चन्द्र ने सुनाई आपबीती

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रुद्रप्रयाग। भारत सरकार की ओर से चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत हर दिन Ukraine में फंसे भारतीय नागरिकों की वतन वापसी हो रही है।

 Ukraine में फंसे चार छात्रों के साथ एक अन्य व्यक्ति भी अपने घर पहुंच गया है। इनमें अगस्त्यमुनि निवासी अंकित चन्द्रा और अवंतिका भट्ट एवं ऊखीमठ निवासी लिपिक्षा कुंवर और उत्कर्ष शुक्ला व बच्छणस्यू पट्टी के धूम सिंह के घर पहुंचने से परिजनों में खुशी बनी हुई है। घर लौटने पर इन सभी ने भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद किया है। साथ ही छात्रों ने भारत सरकार से कहा कि उनके साथ के अभी भी सैकड़ों छात्र Ukraine में फंसे हुए हैं, जो बंकरों में रहकर रात काट रहे हैं। उन्हें भी किसी भी हाल में वापस लाया जाय। वहीं परिजनों ने पीएम मोदी से छात्रों के भविष्य को देखते हुए ठोस कार्यवाही की मांग की है।

बता दें कि Russia के ताबड़तोड़ हमले के बीच Ukraine में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए विदेश मंत्रालय पिछले कई दिनों से नागरिक उड्डयन मंत्रालय के साथ मिलकर प्रयास कर रहा है। रुद्रप्रयाग जनपद के चार छात्रों के साथ ही एक और अन्य व्यक्ति भी Ukraine में फंसा था, जिन्हें वापस लाया जा चुका है। ये सभी अपने घरों में पहुंच चुके हैं। घर पहुंचने के बाद जहां परिजनों ने राहत की सांस ली है, वहीं छात्र अपने साथ घटित घटना को परिजनों को बता रहे हैं और परिजनों की आंखों से आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं। अगस्त्यमुनि निवासी अंकित चन्द्र ने बताया कि वे सात दिनों के ट्रैवल के बाद अपने घर पहुंचे हैं। यूके्रन के कीव में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। 

इस बीच अचानक से हुए Russia-Ukraine युद्ध ने सबकुछ बर्बाद करके रख दिया। बम के धमाकों से Ukraine गूंज रहा है। घटना के दौरान पहले होस्टल में फंसे रहे। उसके बाद बंकर में शिफ्ट किया गया। जहां पर खाने की बहुत ज्यादा समस्या हुई। उन्हें इतना भी समझ नहीं आ रहा था कि वे करें तो क्या करें। एम्बेसी पर काॅल किया तो उनकी ओर से सुरक्षित स्थानों पर रहने की नसीहत दी गई। जब हालात बद से बदतर हो गये तो बार्डर पर आने को कहा गया। बार्डर तक जाने के लिए काफी लम्बा सफर तय किया गया। वे हाथ-पांव जोड़कर बार्डर तक पहुंचे। यहां तक कि 50 किमी पैदल दूरी भी नापनी पड़ी। जिस सफर के ढाई सौ डाॅलर पड़ने थे, उसके हमें 1400 डाॅलर देने पड़े। किसी तरह ट्रेन तक पहुंचने के बाद गिड़गिड़ाने पर टिकट कलेक्टर ने छोटी सी जगह पर बैठने दिया। 

इसके बाद बार्डर पर पहुंचे और वहां से यहां तक पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं हुई। अंकित चन्द्र की मां सुलाचेना देवी अपने बेटे के घर लौटने से काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि अपने बच्चे को घर में देखकर बहुत अच्छा लग रहा है। मां की पीड़ा को कोई नहीं समझ सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ही केदारनाथ विधायक मनोज रावत व पूर्व विधायक शैलारानी रावत का आभार व्यक्त किया। अंकित के पिता डीएल लिंग ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी है कि उनका बेटा घर लौट आया है। साथ ही जिले के अन्य छात्र भी घर लौट आये हैं। जब से घटना के बारे में सुना तो उसके बाद से रात-दिन चिंता खाये हुए थी। अब जाकर राहत की सांस ली है। उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की कि भारत देश में मेडिकल की पढ़ाई महंगी होने के कारण बच्चों को बाहरी देशों में भेजने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इस तरह की घटनाएं घटने के बाद अब डर सा लगने लगा है। उन्होंने कहा कि यहां भी मेडिकल की पढ़ाई को सस्ता किया जाय, जिससे बच्चों को बाहर देश नहीं भेजना पड़ेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि जो छात्र घर लौट आये हैं, उनकी पढ़ाई अब यहीं पर करवाई जाय।


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