Ukraine से सकुशल लौटे टिहरी के पारस, मनीष, सौम्य और सिद्धि, रोमानिया बॉर्डर कैंप से टिहरी के होटेलियर नरेश कलूड़ साथियों समेत पहुंचे दिल्ली

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Ukraine से टिहरी जिले के पांच लोग वापस लौट गए हैं। घर पहुंचने पर परिजनों ने अपनों का भव्य स्वागत किया। सभी ने Ukraine में अपनी आपबीती सुनाई। कहा कि कई दिनों तक वह बम शेल्टर में रहने को मजबूर थे। भारत सरकार ने ऑपरेशन गंगा के तहत Ukraine में फंसे स्टूडेंट्स और होटेलियर को सकुशल वापस लाने में मदद की। अभी भी टिहरी जिले के कई लोग Ukraine और इसके बॉर्डर के आसपास स्थित कैंपों में मौजूद हैं।

रूस और Ukraine युद्ध के बाद से भारतीयों का वतन वापस लौटने का सिलसिला जारी है। 

नई टिहरी के बौराड़ी निवासी पारस रौतेला भी फ्लाइट से पहले दिल्ली और इसके बाद जौलीग्रांट पहुंचे। उनको रिसीव करने के लिए पिता मान सिंह रौतेला, मां प्रतिमा रौतेला और रिश्तेदार किशोर सिंह मंद्रवाल, विजेंद्र पंवार एयरपोर्ट पर पहुंचे। सभी ने पारस को गले से लगाकर भगवान का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने शासन-प्रशासन का भी आभार जताया। पारस ने बताया कि लंबी जद्दोजहद के बाद वह स्वदेश पहुंचे। कहा कि वहां के हालात भयावह हैं। पूरा Ukraine तबाह हो गया है। भविष्य के बारे में बताया कि युद्ध खत्म होने के बाद ही परिजनों से चर्चा के बाद कोई निर्णय लेंगे। वही पारस रौतेला ने कहा कि मैं भारत सरकार के ऑपरेशन गंगा का धन्यवाद देता हूं जिनकी बदौलत में भारत पहुंचा हूं

बौराड़ी के राजपाल राणा के पुत्र मनीष राणा भी अपने घर पहुंचे तो परिजनों का खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मनीष ने बताया कि एक बार तो Ukraine में ऐसा लगा कि वह कभी वापस नहीं आ पाएंगे। 5 दिन तक बंकर में रहा। रह-रहकर बम और मिसाइल के हमले की आवाजें सुनाई देती रही। बताया कि भारतीय दूतावास ने वापसी में मदद की। इस दौरान परिजनों से वीडियो कॉलिंग से बात होती रही।

 टिहरी के बौराड़ी के सौम्या राणा और सिद्धि तोपवाल भी देहरादून पहुंच गए थे। वह 3-4 दिन बाद टिहरी आएंगी। इधर, रोमानिया बॉर्डर से बीती रात को होटेलियर व प्रतापनगर के स्यालगी गांव निवासी नरेश कलूड़ा, कांडा-सुरसिंगधार निवासी प्रवीन पुंडीर, हरीश पुंडीर और नरेंद्रगनर के सुरेंद्र रावत भी भारत के लिए रवाना हुए।  नरेश ने बताया कि केंद्र सरकार ने मुस्तैदी से अभियान चलाकर सभी को वापस लाने में मदद की। कहा अभी भी रोमानिया, पोलैंड, हंगरी, स्लाविया आदि बॉर्डर पर बने कैंप में हैं। उन्हें भी जल्द भारत लाया जा


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