नैनीताल पुलिस का गजब का कारनामाः जो महीनेभर से न्याय के लिए चक्कर लगा रहा था उसी पर दर्ज कर लिया मुकदमा! गालीगलौच, धमकी और हमला, चीखते सबूतों की अनदेखी क्यों?

Spread the love

नैनीताल। जिले में अपराधियों के खिलाफ आवाज़ उठाने के मतलब आपकी जान जोखिम में पड़ सकती है। हो सकता है पुलिस षड्यंत्र के तहत आप पर ही झूठे मुकदमें दर्ज़ कर दें और आप जब इसकी शिकायत पुलिस के उच्च अधिकारियों से करें तो वहाँ से भी आपको षड्यंत्र की बू आए। जी हां एक ऐसा ही मामला हल्द्वानी में चर्चा का विषय बना हुआ है जहां पीड़ित मनोज गोस्वामी अवैध खनन को रोकने के लिए जब प्रशासन से शिकायत करता है तो अवैध खनन में लिप्त कांग्रेसी नेता हृदयेश कुमार शिकायत वापस लेने के लिए मनोज गोस्वामी और उसके पूरे खानदान को मार डालने की धमकी देता है और साथ ही उसकी माँ बहन के साथ रेप करने की धमकी भी देता है जिसका प्रमाण सोशल मीडिया में मौजूद है।
जब मनोज गोस्वामी काठगोदाम थाने में शिकायत लेकर जाता है तो काठगोदाम पुलिस हृदयेश कुमार के खिलाफ 504 और 506 के तहत मुकदमा पंजीकृत करती है लेकिन आज तक उसकी चार्जशीट कौर्ट तक नहीं पहुँच पाती है। और जब इस बात को लेकर मनोज गोस्वामी हल्द्वानी में लगे डीजीपी अशोक कुमार के जनता दरबार में पहुंचता है तो पुलिस उसे वहाँ से भी उठा ले जाती है। ताकि उच्च अधिकारियों तक स्थानीय पुलिस की कारगुजारियाँ पता न लग जाए जिसके बाद मनोज गोस्वामी उत्तराखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से मिलता है जिस पर जिले के एसएसपी कांग्रेसी नेता जिस पर पहले से ही कई आपराधिक मामले दर्ज़ है जिलाबदर करने की कार्यवाही के निर्देश जारी करते है, लेकिन कांग्रेसी नेताओं के दबाव के चलते कार्यवाही नहीं हो पाती और कई महीनों तक फाइल लटक जाती है। अवैध खनन पर स्थानीय प्रशासन के द्वारा कोई कार्यवाही न होने पर पीड़ित कुमाऊँ मंडलायुक्त से मिलता है जिस पर कुमाऊँ मंडलायुक्त दीपक रावत अवैध खनन को रोकने के लिए संबन्धित विभाग को निर्देश जारी करते है।
जैसे ही मनोज गोस्वामी शिकायत कर मंडलायुक्त के कार्यालय से निकलता है तो घात लगाए कुछ लोग पीड़ित मनोज गोस्वामी और उसके बच्चे पर लोहे की रॉड से वार करते है पीड़ित के हेलमेट पहने होने की वजह से रॉड का वार विफल हो जाता है और मनोज गोस्वामी के कंधे पर चोट लगती है जिसके बाद मनोज गोस्वामी अपनी जान बचाने को भागता है। कई लोगों से मदद मांगने के बाद एक परिचित की मदद से उनके घर में पनाह मिलती है और फिर पुलिस को सूचना दी जाती है। पुलिस मौके पर पहुँचती है और हमलावर फरार हो जाते है। जिसके बाद पीड़ित फिर इसकी शिकायत लेकर पुलिस के पास जाता है और पुलिस नामजद तहरीर के आधार पर कई संगीन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर देती है जिसमें हत्या की कोशिश करने की धारा 307 भी आरोपियों पर लगाई जाती है लेकिन उसी दिन अचानक चमत्कार होता है और कई महीनो से जिलाबदर को लटकी फाइल आगे बढ़ती है और हमले के कुछ घंटे पहले ही मुख्य आरोपी कांग्रेसी नेता हृदयेश कुमार को नैनीताल से जिलाबदर कर दिया जाता है।
कई दिन बीतने के बाद जब कार्यवाही नहीं होती तो सूत्रों से पता चलता है कि कांग्रेसी नेता का पुलिस पर दबाव काम कर रहा है जिसकी झलक एसएसपी से किए गए वार्तालाप से मिलती है। दूरभाष पर नैनीताल एसएसपी पंकज भट्ट स्थानीय संवाददाता को बताते है कि दफा 307 यूं ही लगा दी गयी है ऐसा कोई केस नहीं बनता है और एसएसपी पंकज भट्ट के द्वारा यह भी कहा गया कि आरोपी हृदयेश कुमार तो जिला बदर है जब आयेगा तो कार्यवाही करेंगे। इसका सीधा मतलब है कि नैनीताल पुलिस के कप्तान खुद इस बात को मानते है कि कोई भी धारा पुलिस लगा सकती है और बिना जांच के हटा भी सकती है और आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस कोशिश नहीं करती बल्कि उनका आने का इंतजार करती है ताकि वो खुद पुलिस के पास आए और सरेंडर करें। यहां साफ देखा जा सकता है कि पीड़ित मनोज गोस्वामी और उसका 11 साल का बेटा जो हमले का विस्तृत ब्योरा सार्वजनिक लगातार पुलिस को दे रहे हैं, लेकिन उस पर पुलिस जांच नहीं कर रही है। एक बार मान भी लिया जाये कि आरोपी हृदयेश कुमार ने हमला नहीं किया तो क्या जांच पूरी होने तक मनोज गोस्वामी को पुलिस सुरक्षा मुहैया नहीं करवा सकती थी, ताकि सच सामने आ सके और अगर वास्तव में हिश्ट्रीशीटर रहे हृदयेश कुमार ने जानलेवा हमला किया है तो क्या पुलिस को दूसरे हमले का इंतजार है ताकि वो हमला करने आए और उसके बाद पुलिस गिरफ्तार कर सके।
विगत 6 अगस्त को इस मामले में एक नया मोड आ गया जिसमें अवैध खनन में लिप्त हिस्ट्रीशीटर के खिलाफ शिकायत करने वाले हल्द्वानी निवासी मनोज गोस्वामी पर शनिवार देर शाम ऑटो चालक राजू आर्या ने मुकदमा दर्ज करवाया है शिकायत के अनुसार 6 अगस्त की शाम 5 बजे जब वो ऑटो लेकर घर जा रहा था तब मनोज गोस्वामी ने ऑटो रुकवा कर उसके साथ मारपीट की और उसकी चाबी छीन ली। तहरीर में राजू ने लिखवाया है कि मनोज ने उससे कहा कि हिस्ट्रीशीटर हृदयेश कुमार के खिलाफ लिखाये गए केस में उसकी ओर से गवाह बन जाये और बदले में दस हजार ले ले। इस पर मैंने गलत गवाही देने से इंकार कर दिया तो मनोज ने मुझे थप्पड़ मारने शुरू कर दिए और फिर मार पिटाई करने लगा। राजू ने तहरीर में ये भी कहा है कि मनोज ने उसे धमकी दी है अगर उसने गवाही नही दी तो मनोज उसे और उसके परिवार को जान से मार देगा।
यहाँ हैरानी इस बात की है कि जो समय और दिन राजू ने अपनी तहरीर में लिखवाया है उस दिन ठीक उसी समय मनोज गोस्वामी नैनीताल जिला मुख्यालय में मौजूद था। अब सवाल उठता है कि एक ही समय एक ही व्यक्ति दो जगह कैसे मौजूद हो सकता है? मनोज गोस्वामी नैनीताल जिला मुख्यालय अपनी मां भाई और बेटे के साथ आये थे और पौने पांच बजे तक नैनीताल में ही थे हनुमान गढ़ी में मौजूद लोगों से इसकी पुष्टि की जा सकती है। साथ ही सूत्रों के अनुसार पता चला है कि राजू आर्य नाम का व्यक्ति जिसने मनोज गोस्वामी पर आरोप लगाए है वो ऑटो चालक है ही नहीं बल्कि वो हिश्ट्रीशीटर हृदयेश कुमार के घर पर काम करने वाला नौकर है। अब फिर से पुलिस के ऊपर ही सवाल खड़ा हो जाता है कि पहले मुकदमें में साक्ष्य होने के बावजूद काठगोदाम पुलिस मनोज गोस्वामी को कई महीने तक टहलाती है लेकिन राजू आर्य की शिकायत करने पर 6 अगस्त को 5 बजे हुए मारपीट प्रकरण दिखा कर उसी दिन मुकदमा भी पंजीकृत कर देती है इसलिए अब पुलिस की शाख पर कई सवाल खड़े हो गए है।
बतौर मनोज गोस्वामी काठगोदाम पुलिस खनन माफियाओं से दोस्ताना व्यवहार निभा रही है और इनका साथ जिले के कप्तान बखूबी दे रहे है और मनोज गोस्वामी के सूत्रों के अनुसार काठगोदाम प्रभारी ने दफा 307 को हटाने और उल्टे पीड़ित मनोज गोस्वामी पर फर्जी मुकदमा करने के लिए भारी मात्रा में घूस ली है हालांकि आवाज़ इंडिया इसकी पुष्टि नहीं करता है लेकिन कल शाम हुए झूठे मुकदमें से स्पष्ट हो रहा है कि जिले में पुलिस निष्पक्ष नहीं है। जिलें में स्थानीय पुलिस राजनेताओं और माफियाओं का अजीब कॉकटेल सामने आ रहा है जो कि लोकतंत्र के लिए घातक है। ऐसे में एक आम आदमी के लिए न्याय पाना दशरथ मांझी के पहाड़ तोड़ने जैसा है। यही वजह है कि कुछ बायस्ट पुलिस अधिकारियों की वजह से उत्तराखंड में ईमानदार पुलिसवालों को भी जनता शक की निगाह से देखती है।


Spread the love