केदारघाटी में हेलीकॉप्टर से वन्यजीव विचलित! तो फ्यूल के कार्बन से पिघल रहे हैं ग्लेशियर

Spread the love

चारधाम यात्रा पर आने वाले भक्तों के लिए हेलीकॉप्टर एक सुखद साधन है लेकिन यही साधन जीव-जंतुओं के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। हेलीकॉप्टर के शोर से न सिर्फ वन्य जीव विचलित होते हैं बल्कि हेलीकॉप्टर के धुएं के कार्बन को ग्लेशियर की सेहत के लिए सही नहीं माना जा रहा है। फ्यूल से निकलने वाला धुआं ग्लेशियर की परत पर जम जाता है, जिससे ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार बढ़ जाती है।

उत्तराखंड चारधाम यात्रा जोरों-शोरों से चल रही है। इसी बीच श्रद्धालु हेली सेवाओं का भी लाभ उठा रहे हैं। हेलीकॉप्टरों के संचालन से इस वैली में तमाम समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जो आने वाले समय में केदारघाटी की सुंदरता को खराब कर सकती हैं। दरअसल एक ओर हेलीकॉप्टरों के संचालन से केदारघाटी में मौजूद जीव-जंतु पहले ही घाटी से माइग्रेट कर चुके हैं तो वहीं हेलीकॉप्टरों के संचालन से केदारघाटी में काफी अधिक प्रदूषण फैल रहा है। जिससे आने वाले समय में ग्लेशियरों के पिघलने का सिलसिला भी तेज होने की संभावना है। केदारघाटी जितनी खूबसूरत है उतनी ही ऊंचाई पर होने की वजह से अतिसंवेदनशील क्षेत्र भी है। अतिसंवेदनशील होने की मुख्य वजह यह है कि केदारनाथ धाम तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इसके साथ ही केदारघाटी से केदारनाथ का रास्ता भी संकरी घाटी जैसा है। यही वजह है कि विकास कार्यों के साथ ही केदारघाटी में होने वाले तमाम ह्यूमन एक्टिविटी पर भी लगाम लगानी पड़ती है. इसके बावजूद भी इस घाटी में दिन भर हेलीकॉप्टरों की गूंज सुनाई देती रहती है। यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर टैक्सी की तरह घाटी में चक्कर लगाते हैं। एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के एचओडी प्रोफेसर आरके मैखुरी ने साल 2005 से 2012 के बीच केदारनाथ के लिए संचालित होने वाले हेलीकॉप्टर पर शोध कर रिपोर्ट जारी की थी। जिसके अनुसार केदारघाटी में संचालित हो रहे हेलीकॉप्टर से केदारघाटी के आबादी क्षेत्र में रह रहे लोगों को परेशानी हो रही है। इसके अलावा हेलीपैड के आसपास मौजूद स्कूलों के बच्चे यात्रा काल के दौरान सही से पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। साथ ही रामबाड़ा से केदारनाथ धाम के बीच रहने वाले वन्य जीव, हेलीकॉप्टर की आवाज से काफी अधिक विचलित होते हैं.हेलीकॉप्टर ने बायोडायवर्सिटी को कर दिया चेंज: वाडिया से रिटायर्ड हिमनद वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि केदारघाटी में जो हेलीकॉप्टर उड़ रहे हैं उन्होंने वहां की बायोडायवर्सिटी को चेंज कर दिया है। साथ ही वहां की वाइल्ड लाइफ खत्म हो चुकी है क्योंकि हेलीकॉप्टर के साउंड और वाइब्रेशन की वजह से उस क्षेत्र के वन्य जीव माइग्रेट कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि केदारघाटी में 2002 में जब रिसर्च कर रहे थे उस दौरान वन्य जीव नजर आते थे, लेकिन पिछले 18-20 सालों में वन्य जीव दिखने बंद हो गए। जब हेलीकॉप्टर साउंड करता है तो उसका साउंड वैली में होने की वजह से काफी इको होता है जिससे तमाम जीव डर जाते हैं।

 


Spread the love