उत्तराखंड विधानसभा चुनाव: टिकट के इंतज़ार में सूखे बड़े बड़े कांग्रेसियों के हलक, कुछ दिगज्जों को अभी करना होगा टिकट का इंतजार, 17 सीटों पर उम्मीदवारों के चयन को लेकर असमंजस में पार्टी

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देहरादून। राज्य में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 70 में से अपने 53 प्रत्याशियों की सूची तो जारी कर दी हैं लेकिन अभी बची हुई 17 सीटों पर प्रत्याशियों के चयन को लेकर असमंजस की स्थिती बनी हुई हैं। पार्टी में अभी स्थिति यह हैं की वह अब तक पार्टी के वरिष्ठ नेता हरीश रावत की सीट तक तय नहीं कर पाई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश की चाह थी की पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर विधानसभा चुनाव में उतारे। हरीश रावत चाहते हैं कि वह एक बार और प्रदेश का नेतृत्व करें, लेकिन शीर्ष नेतृत्व और वह स्वयं यह तय नहीं कर पाए है कि वह कहां से चुनाव लड़ें।
वहीं इन सब के बीच खबर मिली हैं कि हरीश रावत हरिद्वार और रामनगर में से किसी एक सीट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं, लेकिन वह किस सीट से चुनाव लडेंगे, अभी भी इस पर सस्पेंस बरकरार हैं। क्योंकि अभी इन दोनों में से किसी सीट पर पार्टी ने उम्मीदवार घोषित नहीं किये हैं। रामनगर में उत्तराखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत तैयारी कर रहे हैं। क्योंकि उन्होंने पिछला चुनाव भी यहीं से लड़ा था, लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उत्तराखंड कांग्रेस में रंजीत रावत पहले हरीश रावत के दायां हाथ माने जाते थे। लेकिन पिछले कुछ समय से दोनों के बीच स्थितियां सामान्य नहीं चल रही हैं। वहीं पार्टी के कुछ लोगों का कहना है कि रणजीत रावत रामनगर से चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन हरीश रावत की पहली पसंद भी रामनगर सीट है। इसलिए इस सीट पर कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार को लेकर फैसला नहीं कर पा रही है।
हरीश रावत चाहते हैं कि वह रामनगर से चुनाव लड़ें और रणजीत रावत को सल्ट भेजा जाए। रणजीत रावत सल्ट से चुनाव लड़ चुके हैं, उस सीट का उन्होंने प्रतिनिधित्व भी किया है। इसके अलावा कुछ दिनों पहले पार्टी के विभिन्न पदों से बर्खास्त पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्ण कैबिनेट मंत्री किशोर उपाध्याय पर भी पार्टी कोई निर्णय नहीं कर पाई है। किशोर उपाध्याय टिहरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं, यहां से वह विधायक भी रह चुके हैं। लेकिन पिछले चुनाव में पार्टी ने उन्हें साहसपुर से लड़वाया था और वे हार गए थे। इस बार वे टिहरी से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन पार्टी ने न तो अभी उनकी सीट कंफ़र्म की है और न ही टिहरी से किसी प्रत्याशी की घोषणा की हैं।
इसी प्रकार दो दिन पहले हरक सिंह रावत की कांग्रेस में वापसी होने के बाद भी उनको लेकर पार्टी असमंजस में है। उनका पसंदीदा सीट डोईवाला, चौबट्टाखाल, लैंसडाउन है। कांग्रेस ने अभी इन तीनों सीटों को रखा है। ऐसे में उनको लेकर अभी भी असमंजस बरकरार हैं कि पार्टी उन्हें चुनाव लड़ाएगी या नहीं। वरिष्ठ पत्रकार दाताराम चमोली बताते हैं, ‘कांग्रेस में हरीश रावत और प्रीतम सिंह के बीच ज्यादा से ज्यादा अपने समर्थकों को टिकट देने पर रार चल रहा है, इसलिए कई बड़े नेताओं की सीट भी पार्टी अभी तक तय नहीं कर पाई है।


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