उत्तराखंड पत्थर युद्ध देख थम गईं लोगों की सांसें! रणबाकुंरों ने की एक-दूसरे पर पत्थरों की बौछार

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उत्तराखंड में गोवर्धन पूजा के दिन ताकुला ब्लाक के पाटिया में बग्वाल (पाषाण युद्ध) खेला गया। दो खामों में बंटे रणबांकुरों ने एक दूसरे पर जमकर पत्थरों की बौछार की। करीब आधा घंटा चली बग्वाल में 10 से 12 रणबांकुरे चोटिल हो गए। पाषाण युद्ध को देखने आए दर्शकों ने भी रणबांकुरों का उत्साहवर्धन किया। पाटिया क्षेत्र में गोवर्धन पूजा के मौके पर बग्वाल खेलने की परंपरा बरसों पुरानी है। मंग और उत्साह के साथ बग्वाल खेली गई। एक दल में पाटिया और भटगांव के लोग थे तो दूसरे दल में कोट्यूड़ा और कसून के रणबांकुर थे। परंपरा के मुताबिक पाटिया के पचघटिया में ढोल नगाड़ों की गर्जना के बीच गाय की पूजा के साथ पाषाण युद्ध का आगाज हुआ। रणबांकुरों ने चीड़ की टहनी खेत में गाढ़कर बग्वाल की अनुमति ली।

पाटिया के प्रधान हेमंत कुमार, क्षेत्र पंचायत सदस्य संगीता टम्टा और कोट्यूड़ा के प्रधान भुवन चंद आर्या के पत्थर मारने के बाद बग्वाल शुरू हुई। बग्वाल की घोष के बाद दोनों खामों (दलों) के योद्धा पचघटिया नदी के आरपार एकत्र हुए, इसके बाद पाषाण युद्ध हुआ। करीब आधा घंटे तक आसमान में पत्थरों की बौछार हुई। दोनों तरफ से रणबाकुंरों ने एक दूसरे पर पत्थरों की बौछार की। करीब आधा घंटा तक चली बग्वाल में 10 से 12 रणबांकुरे चोटिल हुए। घायलों का मौके पर ही इलाज किया गया। रणबांकुरों के नदी तक पहुंचने और पानी पीने के बाद पत्थर युद्ध की समाप्ति की घोषणा की गई। पाटिया के प्रधान हेमंत कुमार ने बताया कि पाटिया के रणबांकुर सबसे पहले पानी पीकर विजयी रहे।


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