Thursday, April 18, 2024
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विविधान के साथ श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद।

श्री बदरीनाथ धाम के कपाट आज शनिवार शाम 3 बजकर 35 मिनट पर विधि-विधान से शीतकाल हेतु बंद हो गये है। इस अवसर पर पांच हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने, कपाट बंद होने के अवसर पर बदरीविशाल पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश द्वारा मंदिर को भव्य रूप से फूलों से सजाया गया था। कई स्थानों पर तीर्थयात्रियों को भंडारे आयोजित किये गये थे।

आज प्रातः: तीन बजे मंदिर खुल गया प्रात: अभिषेक शुरू होते ही भगवान बद्रीविशाल के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी रहा। राजभोग के पश्चात भी दर्शन होते रहे दिन के भोग के पश्चात, सायंकालीन आरती भी संपन्न हो गयी इसके बाद भगवान बद्रीनाथ के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गयी‌। रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने स्त्री भेष धारण कर मां लक्ष्मी को श्री बद्रीनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया। इससे पहले भगवान के सखा श्री उद्धव जी तथा देवताओं के खजांची श्री कुबेर जी सभा मंडप में आ गये थे तत्पश्चात जन्म कुंडली वाचन के बाद भगवान बद्रीविशाल को महिला मंडल माणा द्वारा बनाकर तैयार किया गया घृत कंबल पहनाया गया इसी के साथ भगवान बद्रीविशाल के कपाट ठीक शाम 3 बजकर 35 मिनट पर शीतकाल हेतु बंद हो गये। 19 नवंबर शाम को श्री कुबेर जी बद्रीनाथ धाम के निकट बामणी गांव रात्रि प्रवास हेतु प्रस्थान हो गये कल 20 नवंबर श्री कुबेर जी बामणी गांव से पांडुकेश्वर हेतु प्रस्थान करेंगे। इससे पूर्व 15 नवंबर से भगवान बद्री विशाल की पंच पूजाओं शुरू हो गयी थी। पंच पूजाओं के अंतर्गत पहले दिन 15 नवंबर को श्री गणेश जी के कपाट बंद हो गये थे।16 नवंबर को आदि केदारेश्वर जी के कपाट बंद हुए, 17 को खडग पूजन तथा वेद ऋचाओं का वाचन बंद हुआ। 18 को लक्ष्मी माता का पूजन एवं कढ़ाई भोग लगाया गया। 19 नवंबर को भगवान बद्रीविशाल के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गये। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थयात्रियों को शुभकामनाएं प्रेषित की कहा कि इस बार चारधाम यात्रा रिकार्ड साढ़े छियालीस लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में जन सहयोग से श्री केदारनाथ धाम एवं श्री बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है जिससे आनेवाले यात्रा काल में तीर्थयात्रियों एवं आम जनमानस को पर्याप्त सुविधाएं मिलेंगी। 20 नवंबर को प्रात: 9 बजे श्री उद्धव जी तथा श्री कुबेर जी की डोली तथा रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, सहित आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी योग बदरी पांडुकेश्वर हेतु प्रस्थान हो जायेगी। श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी योग बदरी शीतकाल में पांडुकेश्वर में विराजमान रहेंगे जबकि 21 नवंबर सोमवार को आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजमान हो जायेगी। इसी के साथ योग बदरी पांडुकेश्वर तथा श्री नृसिंह बदरी में शीतकालीन पूजायें शुरू हो जायेंगी। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही सभी निकटवर्ती मन्दिरों माता मूर्ति मंदिर माणा, भविष्य बद्री मंदिर सुभाई तपोवन के कपाट भी शीतकाल हेतु आज 19 नवंबर को बंद हो गये है।

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