प्रशासन नें नहीं किया कचरे का निस्तारण, तो चीफ जस्टिस ने उत्तराखंड के सभी डीएफओ पर दस-दस हजार रुपये का लगाया जुर्माना

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उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने प्रदेश के सभी डीएफओ पर दस दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने जुर्माना राशि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करने को कहा है। कोर्ट ने यह कार्रवाई प्रदेश में प्लास्टिक कचरे के निस्तारण में लापरवाही करने, ग्राम पंचायतों का मानचित्र अपलोड नहीं करने पर की है। 2018 में सरकार ने प्लास्टिक मैनेजमेंट रूल्स बनाए थे।

अदालत ने पूछा सवाल कोर्ट ने पीसीसीएफ, सदस्य सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत गढ़वाल और कुमाऊं कमिश्नर को 15 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है। लेकिन हाईकोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करने पर क्यों न आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए। जानकारी के अनुसार इस मामले में अल्मोड़ा के रहने वाले जितेंद्र यादव ने जनहित याचिका दायर की हैं। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने 2013 में प्लास्टिक यूज व उसके निस्तारण के लिए नियमावली बनाई थी। उन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। आपको याद दिला दें 2018 में केंद्र सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स बनाए थे। जिसमें उत्पादनकर्ता, परिवहनकर्ता व विक्रेता को जिम्मेदारी दी थी कि वह जितना प्लास्टिक निर्मित माल बेचेंगे, उतना ही प्लास्टिक वापस ले जाएंगे। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो संबंधित निकायों को फंड देंगे, जिससे कि वह इसका निस्तारण कर सकें। लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है।


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