चारधाम यात्रा में यात्रियों के लिए गाइडलाइन होंगी जारी! मोबाइल-कैमरा हो सकता है प्रतिबंधित, ड्रेस कोड भी हो सकता है लागू

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अप्रैल 2023 से इस साल की चारधाम यात्रा शुरू होने वाली है। बदरी-केदार मंदिर समिति भी यात्रा की तैयारियों में लगी है। इसी कड़ी में समिति ने एक टीम देश के प्रसिद्ध मंदिरों में भेजी थी जो वहां के प्रबंधन और कामकाज की जानकारी जुटाकर लाई है। इस टीम के कुछ सुझाव हैं जिनपर मंथन चल रहा है। इन सुझावों में मंदिर परिसर में मोबाइल-कैमरों पर प्रतिबंध के साथ ही श्रद्धालुओं और पुजारी के ड्रेस कोड तक पर चर्चा होगी।

आने वाले समय में विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ और बदरीनाथ मंदिर में दर्शन करने आ रहे श्रद्धालुओं के लिए कुछ गाइडलाइन जारी हो सकती हैं। देशभर के बड़े मंदिरों का दौरा करके लौटी मंदिर समिति की टीम जल्द ही कपाट खुलने से पहले एक नई एसओपी जारी कर सकती है।

अगर आप यूट्यूबर हैं या फिर मोबाइल से चारधाम यात्रा पर अपनी तस्वीरें या वीडियो बनाकर यात्रा के दौरान अपलोड करते हैं तो आगे से ऐसा नहीं कर पाएंगे। दरअसल, बदरी-केदार मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने देश के बड़े धार्मिक स्थलों- वैष्णो देवी मंदिर, तिरुपति बालाजी, सोमनाथ मंदिर और महाकालेश्वर मंदिर सहित कई मंदिरों का दौरा किया था. मंदिर समिति यह जानने की कोशिश कर रही थी कि देश के तमाम बड़े मंदिरों में किस तरह की व्यवस्था है और कैसे वहां की मंदिर समिति अपने कामकाज का संचालन करती है।

देश के इन 4 बड़े व प्रसिद्ध मंदिरों से अनुभव लेकर लौटी बदरी-केदार मंदिर समिति की टीम ने सबसे पहला प्रस्ताव यह दिया है कि चारों धामों में पूरी तरह से मोबाइल और कैमरा प्रतिबंधित किया जाए। दरअसल यूट्यूब और रील्स के बढ़ते चलन के बाद पिछली चारधाम यात्रा के दौरान कई ब्लॉगर और यूट्यूबर केदारनाथ मंदिर परिसर से तरह-तरह के वीडियो और रील्स बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रहे थे, जिसके बाद इसका काफी विरोध भी हुआ था। ऐसे में मंदिर समिति चारों धामों में मोबाइल और कैमरे पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा सकती है। इसके साथ ही चारों धामों में देश के बड़े चार धार्मिक स्थलों की तरह ही कोई भी पुजारी सीधे दान दक्षिणा नहीं ले पाएगा. मंदिर समिति आने वाले समय में इस तरह की व्यवस्था भी करने जा रही है खास बात यह है कि हो सकता है कि मंदिर में आने जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड भी लागू हो जाए. हालांकि अभी इस पर सिर्फ चर्चा हुई है, कोई फैसला नहीं हुआ है।

मंदिर समिति ने यह भी तय किया है कि मंदिरों में बैठने वाले आचार्य और पुजारियों का भी एक जैसा ड्रेस कोड होगा. मौजूदा समय में पुजारी अलग-अलग तरीके के कपड़े पहनकर मंदिरों में पूजा पाठ करवाते हैं मंदिर समिति चाहती है कि श्रद्धालुओं से ड्रेस कोड का पालन तब ही करवाया जा सकता है जब खुद मंदिर के पुजारी और आचार्य एक जैसी ड्रेस में मंदिरों में बैठे होंगे। इस पूरे मामले मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय से फोन पर बातचीत की। उन्होंने बताया कि जिस मकसद से मंदिर समिति की टीम देश के 4 मंदिरों के भ्रमण पर और उनकी व्यवस्थाओं को देखने गई थी उसके लौटने के बाद कुछ बिंदुओं पर विचार विमर्श किया जा रहा है और आने वाले समय में इसको पूर्ण रूप दिया जाएगा। अजेंद्र अजय ने बताया कि मंदिर समिति चाहती है चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या और लोगों की आस्था जिस तरह से बढ़ रही है उस तरह से व्यवस्थाओं को भी दुरुस्त करना होगा। फिर वो श्रद्धालुओं और पुजारियों के कपड़े हों या फिर आने वाले भक्तों के लिए गाइडलाइन. जो भी गाइडलाइन जारी की जाएगी उसमें इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि श्रद्धालुओं के सुझाव भी लिए जाएं और मंदिर समिति इस पूरे सुझाव पत्र को जल्दी मुख्यमंत्री को सौंपेगी ताकि वो अंतिम रूप से इस पर मुहर लगा सकें।


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