उत्तराखण्ड के कई गांवों में मुसीबत की दरारें! गढ़वाल के कई अन्य गांवों में भू धंसाव की खबरों से मचा हड़कम्प

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जोशीमठ के साथ ही गढ़वाल के अन्य इलाकों में भी जमीन धंसने और मकान में दरारों की आ रही तस्वीरों से हड़कम्प मच गया है। एक ओर जोशीमठ में हालात बिगड़ते जा रहे हैं तो दूसरी तरफ गढ़वाल के करीब 25 से अधिक गांव भी हैं, जो भू-धंसाव और घरों में दरारों का दंश झेल रहे हैं। टिहरी जनपद में स्थित नरेंद्रनगर के अटाली गांव में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन के निर्माण से अटाली गांव के कुछ परिवारों की कृषि भूमि सहित मकानों पर दरारें पड़ी हैं। अटाली गांव की कृषि भूमि पर पिछले दो से तीन दिनों से डेढ़ फुट तक दरारें पड़ चुकी हैं जिसके चलते गांव के कई घर खतरे की जद में आ चुके हैं। गांव में पड़ रही दरारों को देखते हुए अटाली गांव के पीड़ित परिवारों में रेलवे विभाग के खिलाफ आक्रोश है। पीड़ित परिवारों का कहना है कि उन्होंने रेलवे निर्माण कार्य का विरोध नहीं किया, मगर अब गांव की कृषि भूमि और घरों पर दरारें पड़ रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन और रेलवे के अधिकारी यहां हालात देखने तो आते हैं, मगर सिर्फ आश्वासन देकर चले जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अटाली गांव में उनकी पुश्तैनी जमीन है। मकान हैं। अब इस स्थिति में छोड़कर कहां जायें। उधर उत्तरकाशी में यमुनोत्री नेशनल हाइवे के ऊपर वाडिया गांव के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। वर्ष 2013 की आपदा के दौरान यमुना नदी के उफान पर आ जाने से इस गांव के नीचे कटाव होने लगा था। धीरे-धीरे गांव के घरों में दरार आने लगी। वहीं, यमुनोत्री धाम को जाने वाले एक मात्र नेशनल हाइवे भी धंसने लगा। हालांकि, रिवर साइट में प्रोटेक्शन वर्क से भू-धंसाव हल्का हुआ है लेकिन खतरा अभी भी बरकरार है। बताया गया है कि इस गांव में करीब 100 से अधिक परिवार रहते हैं। गांव के लिए की जाने वाली बिजली सप्लाई के खंभे भी अब तिरछे हो गए हैं। रुद्रप्रयाग जनपद के तहत विकासखंड अगस्त्यमुनी का मरोड़ा गांव भी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की भेंट चढ़ा है। इस गांव में भी बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं और अब गांव पूरी तरह से खाली हो रहा है। पीड़ित ग्रामीणों को विस्थापन के नाम पर मात्र कुछ धनराशि दी जा रही है, लेकिन पीड़ित परिवार इसे नाकाफी बता रहे हैं। पीड़ितों का कहना है कि इतनी कम धनराशि में वह मकान बनाएंगे या जमीन खरीदेंगे। पौड़ी के सौड गांव में रेलवे का कार्य से 30 से अधिक घरों पर दरारें पड़ी है। ग्रामीणों ने सरकार को कई बार इस विषय पर अवगत करवा दिया है, लेकिन अभी तक किसी ने भी सुध नहीं ली।


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