कांग्रेस ने की हल्द्वानी के बेघर 4500 परिवारों को बसाने की मांग! वन विभाग को भी सता रहा अतिक्रमण का डर

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प्रदेश के मुख्यालय में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक काजी निजामुद्दीन ने हल्द्वानी में बेघर किए जा रहे परिवारों का मसला उठाया है। उन्होंने कहा कि हल्द्वानी में करीब 4500 परिवार बेघर होने की कगार पर हैं जो कि एक गंभीर विषय है। सरकार कहीं की भी हो, वो हर बेघर को घर देने की बात करती है। लेकिन यहां घरवालों को ही बेघर किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि पहले रेलवे 29 एकड़ जमीन बता रहा था। फिर 79 एकड़ जमीन रेलवे की कैसे हो गई। काजी निजामुद्दीन ने कहा कि पहला विषय बताया जा रहा है कि वहां अतिक्रमण किया गया है। जबकि 50, 60, 70 या उससे अधिक सालों से वहां मंदिर, मस्जिद, स्कूल, ओवरहेड टैंक, धर्मशालाएं, दो सरकारी इंटर कॉलेज और सरकारी स्वास्थ्य केंद्र मौजूद हैं। काजी निजामुद्दीन का कहना है कि अगर यह रेलवे की लैंड थी तो राज्य सरकार ने उसे शत्रु संपत्ति कैसे घोषित कर दिया। शत्रु संपत्ति के नाम से राज्य सरकार ने संपत्ति को ऑक्शन किया. वह जमीन जिसने भी ली वह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा कि हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश के नेतृत्व में पीड़ित लोग सुप्रीम कोर्ट गए हैं. ऐसे में राज्य सरकार को वहां जनता की पैरवी करते हुए न्यायोचित काम करना चाहिए. काजी निजामुद्दीन का कहना है कि हमें न्यायालय पर पूर्ण विश्वास है. साथ ही राज्य सरकार से आग्रह करते हैं कि मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाए. उन्होंने रेलवे मंत्रालय भारत सरकार से मांग करते हुए कहा कि इन सभी परिवारों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए मलिन बस्ती घोषित किया जाए। उधर रेलवे द्वारा अपनी भूमि से अतिक्रमण खाली कराने के बाद अतिक्रमणकारियों द्वारा वनभूलपुरा से सटे वन विभाग की खाली पड़ी वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण होने की आशंका जताई जा रही है. इसे देखते हुए वन विभाग अलर्ट हो गया है. वन क्षेत्र में अतिक्रमण ना हो सके इसके लिए प्रभावी कार्रवाई की जा रही है. तराई पूर्वी वन प्रभाग डीएफओ संदीप कुमार का कहना है कि रेलवे की अतिक्रमण की गई भूमि के पास ही गौलापार में वन विभाग की भूमि है. लिहाजा उन जगहों पर अतिक्रमण से हटाए जाने वाले लोगों के आने की आशंका को देखते हुए वन विभाग ने 4 टीमें बनाई हैं जो निरंतर वन विभाग की भूमि की मॉनिटरिंग कर अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करेंगी। डीएफओ संदीप कुमार का कहना है कि वन विभाग की टीमें 24 घंटे अलर्ट पर हैं. किसी भी कीमत पर रिजर्व फॉरेस्ट में अतिक्रमण नहीं होने दिया जाएगा। आशंका जताई जा रही है कि अतिक्रमण तोड़े जाने के बाद भारी संख्या में अतिक्रमणकारी वन भूमि पर कब्जा कर सकते हैं। जिला प्रशासन और रेलवे प्रशासन अतिक्रमण हटाने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर रहा है। 10 जनवरी से अतिक्रमण हटाए जाने का अभियान शुरू होना है। इसके लिए भारी फोर्स भी अब हल्द्वानी पहुंच रही है। अतिक्रमणकारी भी अब अपने अतिक्रमण से धीरे-धीरे हटने की तैयारी कर रहे हैं ऐसे में वन विभाग को अपनी भूमि को बचाना सबसे बड़ी चुनौती है।


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