Tuesday, May 21, 2024
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बीजेपी में फिर एक बार शुरू हुआ गुट ‘वॉर’!, कोश्यारी-खंडूड़ी के बाद अब सीएम धामी और त्रिवेंद्र सिंह रावत आमने सामने

उत्तराखंड भाजपा की राजनीति का नया दौर शुरू हो चुका है। एक समय गुटबाजी की चर्चा होते ही भाजपा में कोश्यारी और खंडूड़ी गुट की बात की जाती थी। लेकिन अब भाजपा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और त्रिवेंद्र सिंह रावत दो अलग-अलग गुटों के रूप में देखे जा रहे हैं। बड़ी बात यह है कि इस दौरान डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को मुख्यमंत्री धामी के करीब माना जा रहा है। वहीं त्रिवेंद्र सिंह अनिल बलूनी के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं.उत्तराखंड में राजनेताओं की गुटबाजी का जिक्र होते ही सबका ध्यान कांग्रेस की तरफ खुद ब खुद चला जाता है। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में पार्टी के भीतर राजनीतिक द्वंद का माहौल भाजपा में ज्यादा प्रभावी दिखाई दे रहा है। अनुशासित कही जाने वाली इस पार्टी में यूं तो पहले भी राजनीतिक लड़ाइयां दिखाई दी हैं लेकिन केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद नेताओं पर अनुशासन बनाए रखने का ज्यादा दबाव दिखा है। उत्तराखंड बीजेपी में शुरू हुआ गुट ‘वॉर’! हैरानी की बात यह है कि पिछले करीब 10 सालों में इस दबाव के बावजूद पहली बार नेताओं का टकराव सतह पर दिखाई दिया है। ताजा टकराव की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट से धामी सरकार के एसएलपी वापस लेने के फैसले के बाद से हुई है।

दरअसल ये विशेष अनुमति याचिका यानी एसएलपी साल 2020 में उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी जिसमें हाई कोर्ट ने पत्रकार उमेश कुमार से राजद्रोह का मामला हटाने और तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से जुड़े एक मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। इस एसएलपी को धामी सरकार ने पहले सुप्रीम कोर्ट से वापस लेने का कदम उठाया था हालांकि विवाद बढ़ने के बाद सरकार ने यू-टर्न लेते हुए एसएलपी को यथावत रखने का फैसला किया। लेकिन तबतक धामी-त्रिवेंद्र के बीच खिंची लकीर जगजाहिर हो गई। इस प्रकरण के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के रूप में पार्टी दो खेमों में बंटती नजर आई है. हालांकि भाजपा इस बात से साफ इनकार कर रही है।

भारतीय जनता पार्टी के लिए गुटबाजी कोई नई बात नहीं है। वह बात अलग है कि मोदी सरकार के आने के बाद राजनेताओं में खुले रूप से बयान देने को लेकर ज्यादा सतर्कता दिखी है। इसे केंद्रीय हाईकमान के डर के रूप में भी देखा जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी नए और युवा चेहरों को कमान देने की बात कहती रही है.शायद इसीलिए पुष्कर सिंह धामी जैसे युवा चेहरे पर केंद्रीय हाईकमान ने मुख्यमंत्री की कुर्सी देकर विश्वास भी जताया. लेकिन उत्तराखंड में पूर्व नेताओं के नक्शे कदम पर चलकर यह युवा चेहरे गुटबाजी के नए अध्याय को शुरू कर चुके हैं. हालांकि, यह भी साफ है कि राजनीति में हमेशा ना तो कोई दोस्त होता है और ना ही कोई दुश्मन. लिहाजा, वक्त आने पर सत्ता की चाबी के लिए कौन किसके खिलाफ होगा यह कहा नहीं जा सकता.उधर हमेशा गुटबाजी को लेकर भाजपा के निशाने पर रहने वाली कांग्रेस अब पहली बार भाजपा में चल रही गुटबाजी को खूब चटकारे लेकर देख रही है। पार्टी की प्रवक्ता कहती हैं कि पहले भाजपा में केवल सीएम पद के लिए दो मुख्यमंत्रियों की लड़ाई प्रदेश ने देखी। अब दो युवा चेहरों के बीच लड़ाई आने वाले दिनों में सत्ता पाने वाले ऐसे कई नेताओं के बीच दिखाई देगी।

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