नाबार्ड के साथ बैठक में हुआ फैसला, हिमाचल में बनेंगे पांच लाख और किसान क्रेडिट कार्ड

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 शिमला । हिमाचल प्रदेश के पांच लाख और किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के दायरे में लाया जाएगा। वर्तमान में केसीसी के तहत 4.36 लाख किसानों को कवर किया जा चुका है।  राज्य सचिवालय में मुख्य सचिव रामसुभग सिंह और नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ. जीआर चिंताला के साथ हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में प्रदेश में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के तहत चल रही विभिन्न विकास परियोजनाओं को लेकर विस्तृत चर्चा हुई।
मुख्य सचिव ने बताया कि वर्ष 2021-22 में राज्य में फसल ऋण के रूप में लगभग 7296.17 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए गए हैं। वर्ष 2022-23 के लिए अनुमानित ऋण संभावना 29172.00 करोड़ रुपये लक्षित की गई है। राज्य के लिए स्वीकृतियां वित्तीय वर्ष 2017-18 में 510.59 करोड़ रुपये की तुलना में वित्तीय वर्ष 2021-22 में बढ़कर 1134.33 करोड़ रुपये हो गई हैं। मुख्य सचिव ने विभिन्न विभागों और नाबार्ड के अधिकारियों को कृषि क्षेत्र में ऋण प्रवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने के निर्देश दिए।

उन्होंने हिमाचल प्रदेश में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों और प्राथमिक बुनकर सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए भी कहा। बैठक में बताया गया कि नाबार्ड के तहत वर्ष 2021-22 के दौरान प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को जमीनी स्तर पर 20260.14 करोड़ रुपये ऋण प्रवाह (क्रेडिट फ्लो) जबकि कृषि क्षेत्र में 8855.60 करोड़ रुपये ऋण प्रवाह रहा। वर्ष 2021-22 में वार्षिक ऋण योजना के तहत नाबार्ड की उपलब्धि 77.98 प्रतिशत रही।

मुख्य सचिव ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास कोष (आरआईडीएफ) के तहत पॉलीहाउस, रोपवे और सीवरेज परियोजनाओं की स्थापना सहित विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए 1134 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। बैठक में प्रधान सचिव आरडी नजीम, भरत खेड़ा, सचिव अमिताभ अवस्थी, डॉ. अजय कुमार शर्मा, हिमाचल प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय नाबार्ड के महाप्रबंधक डॉ. सुधांशु केके मिश्रा, विशेष सचिव राकेश कंवर सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।

व्यवसायिक कुशलता पर ध्यान दें सहकारी बैंक : चिंताला
नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ. जीआर चिंताला ने गुरुवार को प्रदेश प्रवास के दौरान तीनों सहकारी बैंकों के कामकाज की समीक्षा की। राज्य सहकारी बैंक, जोगिंद्रा केंद्रीय सहकारी बैंक और कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक के अधिकारियों का आह्वान करते हुए डॉ. चिंताला ने कहा कि वर्तमान घटनाक्रम में किसी भी संस्थान के मानव संसाधन का तकनीकी निपुण होना जरूरी है। आज का युग तकनीक का है। ऐसे वातावरण में हम मात्र अपवाद बन कर नहीं रह सकते। उन्होंने बैंकिंग परिवेश को देखते हुए सहकारी बैंकों को व्यवसायिक कुशलता पर ध्यान देने को कहा। इस अवसर पर राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष खुशीराम बालनाटाह ने सहकारी बैंकों की कार्यशैली से अवगत करवाया।


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