ठाकरे के पास प्रबंधकों की कमी

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महाराष्ट्र के घटनाक्रम के बाद इस तरह की कई खबरें आई हैं कि मुख्यमंत्री को महीनों से पता था कि उनकी पार्टी में बगावत की तैयारी हो रही है। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के हवाले से खबर आई कि उन्होंने एक महीने पहले उद्धव ठाकरे को बता दिया था कि शिव सेना के अंदर सब ठीक नहीं है और उनको अपना घर ठीक करना चाहिए। पत्रकारों का भी कहना है कि सीआईडी की रिपोर्ट थी कि एकनाथ शिंदे नाराज हैं और वे विधायकों को एकजुट कर रहे हैं। सवाल है कि जब सबको खबर थी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी जानते थे तब समय रहते प्रबंधन क्यों नहीं किया गया? इसका एक कारण तो ठाकरे परिवार की कार्यशैली को बताया जा रहा है। ठाकरे परिवार के सामने पार्टी के किसी नेता की हैसियत चपरासी से ज्यादा नहीं होती है। इसी बीच उद्धव ठाकरे की सेहत खराब थी, जिससे वे अपने नेताओं से दूर रहे थे।

इसके अलावा एक बड़ा कारण यह है कि शिव सेना के पास कोई प्रबंधक नहीं है। इससे पहले महा विकास अघाड़ी बनी या उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने तो उसके पीछे शरद पवार का प्रबंधन था। बाद में भी गठबंधन सरकार चलाए रखने में पवार का प्रबंधन ही काम करता रहा। पहली बार शिव सेना में संकट पैदा हुआ और वह आउट ऑफ कंट्रोल हो गया क्योंकि पिछले दो दशक में शिव सेना ने कोई प्रबंधक नहीं बनाया। उसके शीर्ष नेता यानी ठाकरे परिवार मानता रहा कि कोई भी शिव सैनिक बागी होने के बारे में सोच ही नहीं सकता था। बाल ठाकरे जमाने में शिव सेना के पास मनोहर जोशी, छगन भुजबल, नारायण राणे जैसे नेता थे, जो लोकप्रिय भी थे और प्रबंधन में भी माहिर थे। भुजबल और राणे के जाने के बाद ले-देकर एक संजय राउत बचे हैं, लेकिन वे भी बयान देने वाले नेता और प्रवक्ता हैं। वे प्रबंधक नहीं हैं। आदित्य ठाकरे के बारे में माना जा रहा था कि वे प्रबंधन संभाल सकते हैं लेकिन बाल ठाकरे का पोता होने का जो अहंकार और अहसास है वह उन्हें पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से दूर रखता है।


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