“वाह रे सरकार”! उत्तराखंड विधानसभा में आठवीं पास कम्पयूटर सहायक तो बीटेक पास बने रक्षक

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उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर भर्तियों में ना सिर्फ भाई भतीजावाद चला बल्कि योग्यता को भी दरकिनार किया गया। पूर्व नेता विपक्ष प्रीतम सिंह की आरटीआई पर विधानसभा सचिवालय के जवाब से यह खुलासा हुआ है। जहां आठवीं पास तो कम्पयूटर सहायक बन गए वहीं बीटेक पास रक्षक के तौर पर ही तैनात हो पाए।

प्रीतम सिंह ने बुधवार को आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान विधानसभा में हुई बैकडोर भर्तियों को लेकर खुलासा किया। उन्होंने आरटीआई के जरिए प्राप्त 165 कर्मचारियों की सूची करते हुए कहा कि भर्तियों में योग्यता को दर किनार किया गया। इस सूची 2001 में नियुक्त एक कर्मचारी की योग्यता महज आठवीं बताई गई है, जबकि वो कम्प्यूटर सहायक बताए गए हैं। जबकि एक कर्मचारी मैकेनिकल इंजीनियर की योग्यता के ब भीरक्षक ही बन पाए। जबकि कम से कम 10 कर्मचारी महज हाईस्कूल पास शैक्षिक योग्यता रखने के बावजूद सहायक समीक्षा अधिकारी की कुर्सी पर पहुंच गए। प्रीतम सिंह ने कहा कि जहां योग्यता का यह पैमाना रहा हो वहां भला क्या काम होता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है? इतना ही नहीं प्रीतम सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि भर्ती घोटाले में हाकम सिंह ने कम से कम न्यूनतम योग्यता का तो ख्याल रखा, विधानसभा में तो बिना विज्ञापन, योग्यता का निर्धारण किए ही चहेतों को नौकरी बांटी गई। उन्होंने कहा कि हर सरकार में इन भर्तियों को कैबिनेट के बजाय मुख्यमंत्री स्तर पर विचलन के जरिए मंजूर किया गया। वो खुद कैबिनेट में रहे लेकिन उन्हें तक कभी इसकी खबर नहीं मिली। प्रीतम ने दो टूक कहा कि इन ^ नियुक्तियों को अंजाम देने वाले सभी जिम्मेदार लोगों के खि भी कार्यवाई की जाए। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा गठित कमेटी ने भी योग्यता को नहीं परखा । प्रीतम ने 2016 से पूर्व की भर्तियों पर भी अब तक कानूनी राय नहीं लिए जाने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब सभी नियुक्तियां अवैध हैं तो फिर मात्र नियमित हो जाने से किसी का बचाव करना ठीक नहीं है। विधानसभा अध्यक्ष सभी के खिलाफ एक समान कार्यवाई करे।


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