उत्तरकाशी के सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग में बीते 12 नवंबर से कैद 7 राज्यों के 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए काम जारी है। रेस्क्यू ऑपरेशन के 17वें दिन रेस्क्यू टीम के हाथ बड़ी सफलता लगी है। शाम साढ़े सात बजे के करीब पाइप पुशिंग का कार्य मलबे के आर-पार हो चुका है। ये लाइफ लाइन पाइप है जिससे जरिए मजदूरों को बाहर लाया जाएगा। पाइप जाने के बाद अब श्रमिकों को कुछ घंटों में सुरक्षित बाहर निकालने की तैयारी शुरू कर दी गई है। सीएम पुष्कर सिंह धामी भी एक बार फिर रेस्क्यू साइट पर पहुंच चुके हैं।
बचाव कार्य में शामिल एक कर्मचारी ने बताया कि बचाव कार्य पूरा हो चुका है और अगले 15-20 मिनट में फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकला जाने लगेगा। एनडीआरएफ की टीमें सभी मजदूरों को बाहर निकालेंगी। कर्मचारी ने बताया कि अब कोई बाधा नहीं है. जैसे ही एनडीआरएफ के जवान अंदर मजदूरों तक पहुंचे वैसे ही सीएम धामी ने ताली बजाकर स्वागत किया है। बताया जा रहा है कि एक-दो मजदूरों का स्वास्थ्य परीक्षण हो रहा है। हालांकि देर शाम हुई प्रेम कांफ्रेंस में एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन का कहना है कि शाम 4.30 बजे के बाद मजदूरों को एयरलिफ्ट नहीं किया जा सकता है। ऐसी परिस्थितियों में मजदूरों के लिए उत्तरकाशी जिला हॉस्पिटल में 30 बेड रिजर्व है, जहां मजदूरों को सभी तरह की मेडिकल सुविधाएं मिलेंगी. वही ऋषिकेश एम्स अलर्ट मोड पर रखा गया है। यहां ट्रॉमा सेंटर सहित 41 बेड का वार्ड तैयार किया गया है साथ ही ट्रॉमा सर्जन सहित हृदय एवं मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम भी तैयार है। जानकारी है कि गंभीर हालत वाले श्रमिकों को हेली से ऋषिकेश एम्स पहुंचाया जाएगा। ऋषिकेश एम्स के हेलीपैड पर एक साथ तीन हेलीकॉप्टर उतारे जा सकते हैं। सैयद अता हसनैन ने बताया कि, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा कि 41 में से हर एक श्रमिक को निकालने में 3 से 5 मिनट का समय लग सकता है। ऐसे में सभी को सुरक्षित निकालने में 3 से 4 घंटे लगने की संभावना है। एनडीआरएफ की तीन टीमें इस कार्य के लिए सुरंग में जाएंगी और एसडीआरएफ टीम उनकी मदद करेंगे। श्रमिकों को बाहर लाते समय पैरामेडिक्स भी सुरंग के अंदर जाएंगे। इससे पहले दोपहर के वक्त टनल के अंदर चल रही मैनुअल ड्रिलिंग से पाइप को अंदर धकेला गया जो मलबे के आरपार हो गया है। इसके साथ एनडीआरएफ टीम ने मोर्चा संभाला। NDRF और SDRF की टीमों को रस्सी, सीढ़ियां लेकर पाइप के अंदर भेजा गया। वहीं मजदूरों को बाहर लाने से पहले पाइप के पहले छोर पर एनडीआरएफ ने दो बार मॉकड्रिल की और पाइप से अंदर और बाहर जाकर देखा गया कि सुरक्षा के लिहाज से सब ठीक है या नहीं। जरूरत पड़ी तो टनल में डॉक्टर भी भेजे जा सकते हैं। टनल के बाहर एंबुलेंस तैनात हैं। मजदूरों के उनके परिवार को भी अलर्ट कर दिया गया है और तैयार रहने को कहा गया है।
वहीं, रेस्क्यू ऑपरेशन में आई तेजी से सिलक्यारा टनल में फंसे श्रमिकों के रेस्क्यू की उम्मीदें बढ़ गई हैं। प्रशासन ने सड़कों को दुरुस्त कर दिया गया है ताकि मजदूरों को बाहर निकालने के बाद इन्हीं सड़कों से सीधे अस्पताल ले जाया जा सके। इसके साथ ही पूजा-पाठ का दौर भी जारी है। उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 श्रमिकों की सलामती के लिए सीएम, अधिकारी, नेता, मंत्री और रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे एक्सपर्ट्स भी प्रार्थना करने में जुटे हैं। अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने भी मंगलवार सुबह सिल्कयारा सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों की सुरक्षित वापसी के लिए टनल के बाहर स्थित मंदिर में पूजा अर्चना की।
इससे पहले, नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHIDCL) के एमडी महमूद अहमद ने बताया था कि एसजेवीएनएल द्वारा की जा रही वर्टिकल ड्रिलिंग में 86 मीटर में से 44 मीटर तक ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है। टीएचडीसी के आज 7वां ब्लास्ट किया जिससे 1.5 मीटर का और फायदा हुआ है। किसी भी विकल्प को रोका नहीं गया है। हॉरिजॉन्टल मैन्युअल ड्रिलिंग का काम पूरा होने के बाद डी-मकिंग की जाएगी और फिर पाइप को पुश किया जाएगा. शायद 5-6 मीटर और स्पेस की जरूरत होगी। रेस्क्यू कार्य में अब सीमेंट का कंक्रीट मिल रहा है जिसे कटर से काटा जा रहा है.गौर हो कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी सिलक्यारा सुरंग में 17 दिनों से सात राज्यों को मजदूर फंसे हुए हैं। मजदूरों को सुरंग से निकालने के लिए रेस्क्यू कार्य जोरों पर चल रहा है और रेस्क्यू ऑपरेशन में राज्य के साथ ही केंद्र की तमाम एजेंसियां लगी हुई हैं। सुरंग में वर्टिकल के साथ ही हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग की जा रही है। रेस्क्यू कार्य में भारतीय सेना भी मदद कर रही है। टनल में फंसे मजदूरों के लिए ऑक्सीजन, खाने पीने और मनोरंजन का खास ख्याल रखा जा रहा है। वहीं डॉक्टर्स की टीम मजदूरों की काउंसिलिंग और स्वास्थ्य पर नजर बनाए हुए हैं।