उत्तराखण्ड में आपदा प्रबंधन पर आयोजित होगा छठवीं वैश्विक सम्मेलन! सीएम धामी ने विवरणिका का किया विमोचन

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हर साल आपदा से देश और प्रदेश में जन और धन की हानि होती है। जिसको लेकर चिंतन तो होता है, लेकिन आपदा से नुकसान बढ़ता जा रहा है। वहीं इस बार प्रदेश में आपदा प्रबंधन पर छठवीं वैश्विक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। जिसमें आपदा प्रबंधन को लेकर तैयारियां और आपदों की रोकथाम के मुद्दे छाए रहेंगे।

उत्तराखंड राज्य समेत अन्य हिमालयी क्षेत्रों में आपदा जैसे हालात बनना आम बात है। ऐसे में आपदा न्यूनीकरण कैसे किया जाए ये हमेशा से ही एक बड़ी चुनौती रही है। इससे लेकर समय-समय पर आपदा प्रबंधन पर वैश्विक सम्मेलन का आयोजन किया जाता रहा है। ऐसे में इस बार उत्तराखंड राज्य में आपदा प्रबंधन पर छठवीं वैश्विक सम्मेलन किया जाएगा। हालांकि इसका आयोजन इसी साल 28 नवंबर से एक दिसंबर तक देहरादून में प्रस्तावित है। जिसको देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने छठवीं वैश्विक सम्मेलन की विवरणिका का विमोचन किया। देहरादून में होने वाले इस आपदा प्रबंधन पर वैश्विक सम्मेलन का विषय ‘मजबूत जलवायु कार्रवाई और आपदा लचीलापन’ है। लिहाजा इस सम्मेलन में आपदा प्रबंधन के लिए नवाचार, सहयोग और संचार पर प्रमुखता से चिंतन और मंथन किया जाएगा। इसके साथ ही इस वैश्विक सम्मेलन में पर्वतीय परिस्थिति और संचार पर विशेष रूप से फोकस किया जाएगा। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देहरादून में प्रस्तावित आपदा प्रबंधन का छठवां वैश्विक सम्मेलन होने से देवभूमि उत्तराखंड को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिलेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्यों में आपदा न्यूनीकरण कैसे किया जाए इसकी बड़ी आवश्यकता है। ऐसे में इस सम्मेलन में आपदा न्यूनीकरण, जन-धन हानि कैसे कम की जाए, वैज्ञानिक दृष्टिकोण के उपयोग पर विस्तृत रूप से विचार विमर्श किया जाएगा। हालांकि, जब नदियां रास्ता बदलती हैं, तो उससे काफी अधिक जन और धन की हानि होती है। इस विषय पर भी विशेषज्ञों से चर्चा की जाएगी। सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य आपदा की दृष्टि से काफी संवेदनशील राज्य है। हालांकि जलवायु परिवर्तन की वजह से आपदा का स्वरूप भी बदल रहा है। अब आपदाएं केवल मानसून सीजन तक ही सीमित नहीं रह गई हैं. बल्कि ग्रीष्मकाल में भी आपदाएं आ रही हैं। लिहाजा देहरादून में प्रस्तावित आपदा प्रबंधन का छठवीं में वैश्विक सम्मेलन में विश्व भर के विशेषज्ञ और पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में काम कर रहे तमाम लोग शामिल होंगे। जिनके अनुभव का लाभ उत्तराखंड राज्य को मिलेगा।


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