उत्तराखंड में पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर एनजीटी का चला चाबुक! कार्बेट नेशनल पार्क में पाखरो टाइगर सफारी प्रोजेक्ट पर रोक,जाने कारण

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25 अक्टूबर देहरादून/संवाददाता तापस विश्वास

कार्बेट नेशनल पार्क में पाखरो टाइगर सफारी प्रोजेक्ट में साढ़े छह हजार पेड़ काटे जाने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी है। पीएम नरेंद्र मोदी के 2019 में कार्बेट पार्क में आने के बाद उत्तराखंड सरकार ने पाखरो टाइगर सफारी प्रोजेक्ट की घोषणा की थी।

आपको बात दे पीएम नरेंद्र मोदी के 2019 में कार्बेट पार्क में आने के बाद उत्तराखंड सरकार ने पाखरो टाइगर सफारी प्रोजेक्ट की घोषणा की थी। इसे पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया था। एडवोकेट गौरव कुमार बंसल ने कार्बेट के बफर जोन में पेड़ काटे जाने की शिकायत नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी से की थी। इसके बाद एफएसआई ने कार्बेट में मामले की छानबीन की। अपनी रिपोर्ट में छह हजार से अधिक पेड़ काटे जाने की बात कही थी। लगभग 20 दिन पहले एफएसआई ने 16.21 हेक्टेयर में 6 हजार से अधिक पेड़ काटे जाने सम्बन्धी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी थी। उस समय पीसीसीएफ विनोद सिंघल ने रिपोर्ट में तकनीकी खामियां बतायी थीं।

वही एनजीटी ने 21 अक्तूबर को मामले में सुनवाई करते हुए डीजी स्तर पर तीन सदस्यीय कमेटी के गठन के आदेश दिए। कमेटी कार्बेट में वन और पर्यावरण के नियमों के उल्लंघन की विस्तृत जांच करेगी। कमेटी दो महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। इस अवधि तक इस प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं करने के आदेश दिए गए हैं। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल औश्र एक्सपर्ट मेंबर प्रो. ए सेंथिल वेल ने केंद्र और उत्तराखंड सरकार को इस प्रोजेक्ट पर फिलहाल काम करने से मना किया है। साथ ही एक महीने में स्पष्टीकरण देने को भी कहा है। सम्बंधित विभागों को विशेष सिफारिश से जुड़ी रिपोर्ट एक महीने में देने को कहा है। यह रिपोर्ट केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय व जलवायु परिवर्तन को सौंपने को कहा गया है। पिछली भाजपा सरकार में लगे आरोप: भाजपा सरकार में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत पर कार्बेट बफर जोन में बिना टेंडर के ठेकेदारों से काम कराने के आरोप लगे। जांच फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने की और अक्तूबर 2022 के पहले सप्ताह में 81 पन्नों की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। पाखरो क्षेत्र में टाइगर सफारी के निर्माण के लिए की गई गड़बड़ी की जांच विजिलेंस ने भी की थी। इस मामले में गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद कालागढ़ टाइगर रिजर्व के तत्कालीन डीएफओ किशन चंद और तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग को निलंबित कर दिया था। इसके अलावा, तत्कालीन निदेशक राहुल को फारेस्ट मुख्यालय में अटैच किया था।

 


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