नवोदित उदयीमान लेखकों को ‘साहित्य गौरव सम्मान’ देगी धामी सरकार

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साल 2023-24 में राज्य सरकार की ओर से पहली बार लोक भाषाओं और लोक साहित्य में कुमाऊंनी और गढ़वाली समेत उत्तराखंड की बोलियों एवं उपबोलियों के साथ ही हिंदी, पंजाबी और उर्दू में दीर्घकालीन उत्कृष्ट साहित्य सृजन के साथ ही अनवरत साहित्य सेवा के लिए हर साल उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान दिया जाएगा। जिसकी सीएम धामी में आज बुधववार पांच अप्रैल को घोषणा की।

दरअसल साल 2014 के बाद पहली बार सीएम की अध्यक्षता में उत्तराखंड भाषा संस्थान की बैठक की गई। सीएम की अध्यक्षता में बुधवार को सचिवालय में हुई बैठक में सीएम ने तमाम भाषाओं में उत्कृष्ट महाकाव्य या खंडकाव्य रचना, काव्य रचना, कथा साहित्य के साथ ही अन्य गद्य विधाओं के लिए हर साल उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान दिए जाने की घोषणा की है। इसके साथ ही प्रदेश की मुख्य भाषाए गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी तीन लोक भाषाओं और हिन्दी भाषा में चार नवोदित उदयीमान लेखकों को हर साल सम्मानित किया जाएगा। इसके लिए अगले महीने यानी मई महीने में उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित किए जाने को लेकर भव्य समारोह आयोजित किया जायेगा। साथ ही सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड के ऐसे रचनाकारों, जो आर्थिकी के अभाव के चलते अपनी पुस्तकों का प्रकाशन नहीं कर पाते हैं उन्हे उत्तराखंड भाषा संस्थान की ओर से आर्थिक सहायता के रूप में आंशिक अनुदान दिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा सीएम ने राज्य के सभी जिलों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय भाषा सम्मेलन का आयोजन करने के भी निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। इसके साथ ही भाषा संस्थान, बहुआयामी योजना के तहत लोक भाषा सम्मेलन, भाषा संबंधी विचार विनिमय, शोध पत्रों का वाचन, साहित्यिक शोभा यात्रा, जैसे कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा। साथ ही बैठक के दौरान सीएम धामी ने प्रदेश के सभी जिलों के एक प्राथमिक विद्यालय में ई पुस्तकालय स्थापित करने के भी निर्देश दिए हैं। सीएम ने निर्देश दिए कि नेशनल बुक ट्रस्ट के साथ मिलकर प्रदेश भर में पुस्तक मेले का आयोजन किया जाए। साथ ही पुस्तक मेले में साहित्यिक संगोष्ठियों के आयोजन पर भी सीएम ने मंजूरी दे दी। इसके अलावा राज्यभर में सुविख्यात लेखकों की व्यखानमालाएं आयोजित की जाएगी। सीएम धामी ने कहा कि लोक भाषाएं और बोलियां, हमारी पहचान और गौरव है। यही वजह है कि राज्य सरकार स्थानीय भाषाओं, बोलियों, संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए लगातार कार्य कर रही है।


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