अंतिम संस्कार से पहले जिन्दा हुई 102 साल की दादी

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यमराज के दरबार से अपनी जिन्दगी की कुछ बची सांसे लेकर 102 साल की दादी मौत को चकमा देकर वापस लौच आयी, जिस दादी को मरा समझ कर अंतिम संस्कार की तौयारियां पुरी कर ली गयी, और शव शैय्या भी तैयार कर ली गयी, वो दादी गंगा घाट पहुंचने से पहले ही जीवित हो गयी, और सभी को चौंका दिया, अब इसे चमत्कार कहें या फिर उपर का का कुछ करिश्मा, जिस दादी को मृत घोषित कर दिया गया, वो आखिर कैसे जिन्दा हो गयी,

ज़िन्दगी और मौत ऊपर वाले के हाथों में है जहां पनाह, इसे ना तो आप बदल सकते हैं और ना मैं, जी हां ये फिल्मी डायलोग तो आपने सुना ही होगा, मगर ये सच है है कि ऊपर वाले ने जिसके नसीब में जितनी सांसे लिखई है, वो उतना ही पुरा करेगा, ये हम आपको आज इसलिए बता रहे हैं क्योंकि ऐसा ही सांसों का चमत्कार हुआ है रुड़की में, जहां 102 साल की वृद्ध महिला को मृत घोषित कर शव शैय्या पर लेटा दिया गया और अंतिम संस्कार की तैयारियां भी पुरी कर ली गयी, पुरा कुनबा शोक में डूब गया, शव को शमशान ले जाने की तैयारियां भी हो गयी, लेकिन तभी ऐसा चमत्कार हुआ कि वृद्ध महिला शव शैय्या से उठ पडी, जिसे देख सभी चकित रह गये, शोक में डूबा परिवार भौंचक्का तो रह गया, लेकिन अपनों के मौत के मुंह से वापस आने की खुशी भी थी, अब 102 साल की दादी का मौत के मुंह से वापस आना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है, वहीं लोग इसे चमत्कार भी मान रहे हैं।

ये 102 साल की दादी यमराज से अपने लिए बची हुई सांसे छीन कर ले आयी, और जिसे परिवार के लोगों ने मरा समझ लिया वो अंतिम संस्कार से पहले ही जीवित हो गयी, अब दादी के जिन्दा होने की खुशी तो परिवार के लोगों मे है ही मगर 102 की ये दादी की मौत से हुी जंग के बाद दोबारा जिन्दा होने की सच्ची घटना लोगों में चर्चा का विषय बन गयी है, बहरहाल ये कहना सही होगा कि जिन्दी और मौत उपर वाले के हाथों में है जहां पनाह इसे ना तो आप बदल सकते हैं और ना में।


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