Thursday, April 18, 2024
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गुरुग्राम: नागरिक अस्पताल में तीन घंटे भटकने के बाद भी घायल को नहीं मिला बेड

गुरुग्राम। सेक्टर-10 नागरिक अस्पताल में बेड की कमी मरीजों की जान पर बनी हुई है। बुधवार को सड़क दुर्घटना में घायल एक युवक को अस्पताल में तीन घंटे तक भटकने के बाद भी बेड नहीं मिल पाया। स्टाफ लगातार घायल के तीमारदारों को दूसरे मरीज को छुट्टी मिलने पर बेड खाली होने का इंतजार करने को कहता रहा। तीमारदारों के अनुसार जब वह तंग आकर अस्पताल प्रबंधन के अधिकारियों से मिले तो उन्होंने कहा कि मरीज को दिल्ली रेफर करवा लो। आखिर में परेशान होकर तीमारदारों को अपने घायल मरीज का इलाज कराने के लिए निजी अस्पताल का रुख करना पड़ा। इस तरह की परेशानी अस्पताल में अन्य मरीजों को भी झेलनी पड़ रही है।

सेक्टर-10 नागरिक अस्पताल से तीन से चार मरीजों को रोजाना दिल्ली इस लिए रेफर कर दिया जाता है, क्योंकि अस्पताल में बे खाली नहीं मिलता। मरीज व्यवस्था में सुधार की मांग कर रहे हैं।भोंडकलां निवासी सुनील ने बताया कि उनका छोटा भाई अनिल (18) बुधवार सुबह घर से बाहर दौड़ मारने के लिए गया था। किसी अज्ञात वाहन ने उसे टक्कर मार दी और उसके पैर में चोट आई और खून निकलने लगा। परिजन उसे लेकर पहले पटौदी अस्पताल गए और फिर वहां से उसे गुरुग्राम के सेक्टर-10 नागरिक अस्पताल भेज दिया। परिजनों ने बताया कि यहां आने के बाद डॉक्टर को दिखाने और एक्सरे कराने के लिए ही उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। काफी देर बाद इलाज मिला और डॉक्टर ने उनके भाई को भर्ती करने के लिए कहा, लेकिन बेड के लिए वो तीन घंटे तक भटकते रहे। अस्पताल में बेड खाली नहीं होने की वजह से मायूस होकर दोपहर में अस्पताल से अपने भाई को वापिस लेकर लौट गए।

नागरिक अस्पताल में स्त्री रोग विभाग पर मरीजों का काफी दबाव रहता है। रोजाना अस्पताल में औसतन 30 प्रसव होते हैँ। इसके अलावा अन्य बीमारियों से भी ग्रस्त महिलाएं यहां इलाज के लिए आती हैं। गायनी वार्ड में 38 बेड और लेबर रूम में 14 बेड की व्यवस्था है। हालांकि मरीजों की संख्या के आगे ये भी कम पड़ जाते हैं। जिसकी वजह अधिकतर डॉक्टरों को एक बेड पर दो मरीजों को लेटाकर उनका इलाज कराना पड़ता है। सोहना, पटौदी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से भी रेफर होकर महिलाएं सेक्टर-10 नागरिक अस्पताल इस उम्मीद में पहुंचती हैं कि उन्हें यहां बेहतर इलाज मिलेगा, लेकिन भर्ती होने के लिए बेड भी उन्हें नसीब नहीं हो पाता है। सेक्टर-10 नागरिक अस्पताल 100 बेड का है। इसमें इमरजेंसी के अलावा कई विभाग चलते हैं। मेडिसिन के अलावा सर्जनी, गायनी, बाल रोग, एसएनसीयू, आइसोलेशन वार्ड, डेंगू वार्ड, बन वार्ड आदि बने हुए हैं। यहां रोजाना ओपीडी दो हजार के करीब मरीज की होती है। ऐसे में यहां मरीजों के लिए बेड कम पड़ते हैं और तीमारदारों को मजबूरी में अपने मरीजों को या तो दिल्ली व रोहतक के सरकारी अस्पतालों में रेफर करवाना पड़ता है या उन्हें निजी अस्पतालों में लेकर जाना पड़ता है।

अस्पताल में मरीजों का दबाव अधिक है। उस मुकाबले बेड की संख्या कम है। सेक्टर-10 नागरिक अस्पताल में ही 100 बेड का एक ब्लॉक और बन रहा है। सिविल लाइंस में भी 400 बेड का सरकारी अस्पताल बनना है। इनके बनने से बेड की संख्या बढ़ जाएगी और मरीजों को दिक्कत नहीं आएगी। अभी भी अस्पताल में जो मरीज आते हैं, उनका पूरा इलाज किया जाता है।

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